आई नोट , भाग 7
अध्याय-1
एक बढ़िया ज़िंदगी
भाग-7
★★★
तकरीबन 45 मिनट लगातार खोदने के बाद उसने एक ठीक-ठाक कबर तैयार कर ली थी। कब्र ज्यादा गहरी नहीं थी, मगर कम से कम इतनी थी कि उसमें किसी लाश को डालकर उस पर रेत गिरा कर उसे छुपाया जा सके।
शख्स ने कब्र खोदने के बाद फावड़े को वही फेंका और कार की तरफ जाने लगा। कार की तरफ जा कर उसने नीचे गिरी अभिनव की लाश को उठाया और अपने कंधे पर रखकर कबर की तरफ चलने लगा।
कब्र की तरफ चलते वक्त वो अपने मन की दुनिया में बोला “क्या आप लोगों ने एक बात पर गौर किया, मेरे कहने का मतलब क्या आप लोगों को शुरू से पता था कि मैं एक लेखक हूं। नहीं ना!! दरअसल मैं यह बात आप लोगों को बताना नहीं चाहता था। मैंने सोचा था मैं इसे सरप्राइज रखूंगा और वक्त आने पर ही इसे सामने लाऊंगा। अगर वह पुलिस वाला बीच में ना आता तो शायद यह बात अगले कई दिनों तक सामने ही ना आती। मुझे अपनी निजी जिंदगी की कुछ बातों को छुपाना ही अच्छा लगता है। जैसे कि मेरा नाम, अब मुझे नहीं लगता दुनिया में गिनती के ऐसे पांच लोग भी होंगे जिनको मेरा नाम पता होगा। इसी तरह अपने काम के बारे में जानकारी साझा करना भी मुझे पसंद नहीं। फिर दूसरी बात यह है कि लेखक की दुनिया में मैंने अभी तक अपना इतना नाम भी नहीं कमाया, जो मैं किसी को भी सरेआम कहता फिरु की मैं एक लेखक हुं। सब इतना भी आसान नहीं होता जितना लगता है।”
उसने लाश को कब्र में गिराया और गिराने के बाद हाथ जोड़ कर घुटनों के बल वहां जमीन पर बैठ गया। घुटनों के बल बैठते हुए वह बोला “हे भगवान, सबसे पहले तो आपका ढेर सारे शुक्रिया की आपने मुझे कभी याद नहीं किया, इस वजह से मैं आज भी सुख शांति के साथ इस दुनिया पर अपनी जिंदगी जी रहा हूं। इसके बाद मेरा आपसे विनम्र निवेदन है की आप इस बच्चे को अपनी शरण में ले, इसे अच्छी बुरी चीजों का ज्ञान दें। वैसे तो इसके दादा भी आपके पास ही है, मगर पता नहीं क्यों मेरा मन इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि इसे इसके दादा के पास भेजा जाए। मतलब, मतलब अब क्या कहूं आपसे, अगर इसके दादा ने इसे अच्छा ज्ञान दिया होता तो आज यह नौबत ना आती। अब आप तो समझदार हैं, ज्ञानी है, पूरी सृष्टि चलाते हैं, आपसे क्या ही छुपा है। यह जितने भी हालात हैं इनको आप मुझसे बेहतर समझ सकते हैं।” उसने हाथों को अपने होठों के पास किया और चुमा “ओम शांति शांति। तुम्हारी आत्मा को शांति मिले।”
वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और पास पड़े फावड़े को उठाकर मिट्टी कब्र में डालने लगा। तकरीबन 5 मिनट मिट्टी डालने के बाद उसने लाश पूरी तरह से ढक दी। इसके बाद उसने जगह को समतल किया और आसपास के पत्ते ला कर उस पर गिरा दिए। थोड़े से और प्रयासों के बाद उसने जगह को ऐसे कर दिया था जैसे मानो यह पहले से ही ऐसी थी।
सब करने के बाद उसने अपना फावड़ा उठाया और उसे कार की डिक्की में फेंक दिया। फावड़ा फेंकने के बाद उसने पास पड़ी दो फूलों की थैलियों की तरफ देखा। फूलों की थैलियों को देखते हुए वह बोला “इनका भी कुछ करना पड़ेगा...”
उसने थेलिया उठाई और वापिस डिक्की में रख कर डिक्की बंद कर दी। इसके बाद वह गाड़ी में बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर उसे धीरे-धीरे पीछे की तरफ लिया। जल्द ही वह मेन रोड पर आ गया था। वहां उसने गाड़ी को शहर की तरफ ले लिया। गाड़ी को शहर की तरफ लेने के बाद घड़ी देखी तो रात के तकरीबन 10:45 बजने को हो रहे थे।
उसने सिगरेट निकाली और सिगरेट जला ली। सिगरेट पीते पीते वह अपने मन की दुनिया में बोला “एक बढ़िया जिंदगी, पता नहीं क्यों मेरा मन इस पर दोबारा डिस्कस करने के लिए कर रहा है। अगर देखा जाए तो जिंदगी के कई सारे मतलब निकल कर आते हैं। जैसे कि अच्छी जिंदगी, बुरी जिंदगी, औसत जिंदगी, गई गुजरी जिंदगी। दुनिया का हर एक इंसान इन चारों की तरह की जिंदगी में से किसी एक तरह की जिंदगी में रहता है। हालांकि इसके बावजूद वो अपनी जिंदगी को गई गुजरी जिंदगी का हिस्सा मानेगा। जैसे कि एक अमीर और रहिशमंद बिजनेसमैन की जिंदगी को हम सबसे अच्छी जिंदगी मान सकते हैं। उसके पास ढेर सारा ऐशोआराम होगा, हर तरह की खुशी होगी, लेकिन वहीं अगर रहिशमदं बिजनेसमैन के नजरिए से देखा जाए तो उसकी जिंदगी उसके लिए बकवास जिंदगी के कहलाएगी। दिनभर पैसे की चिंता, कंपनी में होने वाले नुकसान की चिंता, सौ तरह के दूसरे लफड़े। शायद इसीलिए मैंने पहले एक बढ़िया जिंदगी के बारे में बताते हुए यह कहा था की हर एक इंसान के लिए बढ़िया जिंदगी के अलग अलग मायने होते हैं। हर कोई अपने अपने हिसाब से बढ़िया जिंदगी को अपने तरीके से देखता है। उसमें कमियां निकालता है, कमियां निकालने के बाद खुद को कोसता है, यह बात उसके मन में आती ही नहीं कि उसके पास जो जिंदगी है वहीं उसके लिए उसकी बढ़िया जिंदगी है। उसे अपनी जिंदगी से खुश रहना नहीं आता। खैर... ऐसे लोग वक्त के साथ अपनी जिंदगी के मतलब को समझ ही जाते हैं। मुझे तो इस बात की खुशी है कि मेरे लिए मेरी बढीया जिंदगी के मायने मेरी विबी के अलावा कुछ और नहीं। मैं अपनी बीवी से खुश हूं। वहीं अगर मेरी बीवी का देखा जाए तो वह भी अपनी जैसी भी जिंदगी है उसमें खुश है। उसे... उसे दूसरी चीजों का अट्रैक्शन नहीं। कीमती गहने, महंगा सामान, ऐशो आराम, वो इन सब पर नहीं मरती। उसके लिए उसके बढीया जिंदगी...शायद मैं ही हूं। अगर मैं ना भी हुआ तो भी क्या.... अगर चीजें आपकी सोच के हिसाब से नहीं होती तो आपको उसे स्वीकार करना पड़ता है।”
सड़क पर कुछ देर चलने के बाद मोड़ आया और उसने गाड़ी उस तरफ मोड़ दी। गाड़ी मोड़ने के बाद उसकी गाड़ी दूसरी गाड़ियों के बीच चल रही थी। तकरीबन 15 मिनट तक चलने के बाद वह उस जगह पर पहुंच गया था जहां उसकी बिल्डिंग थी। वहां उसने सड़क किनारे बने एक डस्टबिन को देखा और गाड़ी धीरे से डस्टबिन के पास जाकर रोक दी। डस्टबिन के पास गाड़ी रोकने के बाद वह उतरा और डिक्की में मौजूद फूलों की थैलियों उसमें फेंक दिया। थेलिया फेंकने के बाद वह वापस गाड़ी में जा बैठा।
कुछ देर बाद शख्स लाल रंग की रोशनी में डूबी सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ दिखाई दिया। वहां उसने अपने मन मस्तिष्क के विचारों को आगे जारी रखते हुए कहा “वैसे आप लोग अब तक यह तो समझ ही चुके होंगे कि मैं कौन हूं, कैसा हूं और क्या कर सकता हूं। ज्यादा ना सही, मगर थोड़ा सा! बाकी 1 दिन में किसी इंसान को ठीक तरह से जाना भी नहीं जा सकता। इंसान को जानने और समझने के लिए उसे वक्त देना पड़ता है। एक बात मैं कह दूं जो आपके लिए याद रखना जरूरी है, मतलब आप चाहे तो सब कुछ भूल जाना मगर इस बात को चाह कर भी मत भूलना। मैं एक लेखक हूं, और अपनी पत्नी के लिए कुछ भी कर सकता हूं। कुछ भी मतलब कुछ भी। और किसी को भी मेरे और मेरे पत्नी के बीच में नहीं आने दे सकता। बाकी सब बातें तो मोह माया है... आती रहेंगी जाती रहेंगी। पर यह बात कभी भी नहीं बदलने वाली।”
वह दरवाजे तक पहुंचा और उसने दरवाजे के पास मौजूद डुर बेल बजाई। तकरीबन कुछ देर इंतजार करने के बाद सामने से मानवी ने उवासी लेते हुए दरवाजा खोला। मानवी ने सफेद रंग का नाइट सूट पहन रखा था। सामने देखते ही वह बोली “रात के 11:00 बजने को हो रहे हैं, इतनी देर तक कहां थे आप?”
शख्स ने शातं स्वभाव दिखाया और सीरियस अंदाज में बोला “बस कुछ जरूरी काम निपटा रहा था। आज ही किसी बंदे का कत्ल किया था, तो उसकी लाश ठिकाने लगाने में वक्त लग गया।”
विबी ने यह सुना तो पलट कर बेडरूम की तरफ जाने लगी “अच्छा मजाक था। कितनी बार कहा है मुझसे अपनी कहानियों की बातें ना किया करें। जब भी आप अपनी कहानियों के बारे में बताते हैं तो ऐसा लगता है जैसे आप सचमुच के कातिल है।”
“अब तुम्हें एक लेखक की जिंदगी में कहानियों के अलावा और सुनने को मिलेगा भी क्या। फिर मैं तो ठहरा क्राइम स्टोरी लिखने वाला लेखक, मेरी कहानियों में तो कत्ल ही कत्ल होंगे।”
शख्स पीछे मुड़ा और दरवाजा बंद करने लगा। दरवाजा बंद करते हुए वह अपने मन में बोला “मेरी बीवी मेरे लेखक होने वाली बात जानती है। इसके भी अपने अलग मजे हैं, दुनिया को सच्चाई बता दी जाए तो वह भी उसे कहानी मानकर नजरअंदाज कर देती हैं। अब जैसे कि आप लोग। क्या आप लोगों को लगता है कहानी की शुरुआत में जो तीन चार कॉपी की गई लाइनें लिखी, की कहानी सिर्फ कल्पना पर आधारित है वगेरा वगेरा... वह हमेशा सच होती है। हाओ... सच्च ही होती होगी। वरना लिखने वाला ऐसा क्यों लिखेगा।”
उसने दरवाजा बंद किया और अपनी चप्पल पर शू रैक में जाकर रख दी। इसके बाद वह बाथरूम की तरफ चला गया। बाथरूम में वह नहाने लगा।
नहाते नहाते जब उसके दोनों ही हाथ उसके चेहरे पर आए तो उसने दोबारा अपने दिमागी दुनिया में कहा “हो सकता है पुलिस से बचने के लिए ऐसा लिख दिया जाए... या कल को अगर जान पहचान का कोई आपकी कहानी को पढ़ ले... और उसे अंदाजा हो जाए कि आपने जो भी लिखा है वह बिल्कुल सच लिखा है... तो चीजें महंगी पड़ सकती है। इन सब से बचने के लिए कहानी की शुरुआत में लिखी जाने वाली कल्पना वाली लाइन सबसे बेस्ट होती है। कल को कोई आपके दरवाजे पर खड़ा होकर आपको आपकी कहानी के आधार पर कातिल भी बोल दे, तो आप यह कह कर बच सकते हैं, कि मैंने तो बस कल्पना की थी। अब वह कल्पना सच है या झूठ... इससे मेरा कोई लेना देना नहीं। इसका फैसला आप लोगों कीजिए।”
वह नहा कर बाहर निकला जहां उसके बदन पर सिर्फ तोलिया था। और ऐसे ही बेडरूम की तरफ चला गया। बेडरूम में उसकी बिवी मानवी तकिए पर सर रखकर आंखें बंद कर सोई हुई थी। उसके मोटे गाल और बंद आंखों की वजह से वह सोते वक्त मासूम और काफी प्यारी लग रही थी।
शख्स भी उसे एकटक देखता रह गया। उसके चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान उभरी और उसने अपने मन की दुनिया में कहा “मेरी बीवी... यह सच में कितनी प्यारी है ना। भगवान करे यह मुझसे कभी अलग ना हो। मैं सच में... मैं सच में इससे अलग होना बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा।”
वह वहीं उसके पास आया और घुटनों के बल बैठ गया। उसने प्यार से अपना हाथ आगे बढ़ाया और मानवी के माथे पर आए बालों को एक तरफ करने लगा। इसे मानवी की आंख खुल गई।
आंख खुलते ही मानवी ने पूछा “क्या हुआ.?”
शख्स ने ना कि अंदाज में सिर हिलाते हुए कहा “कुछ भी नहीं।”
मानवी ने आंखें छोटी की और बोली “तो तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो..”
शख्स ने चेहरे पर एक हताश और निराश होने वाला भाव दिखाया और ठंडे स्वर में कहा “तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगी ना...। कभी भी...”
मानवी ने यह सुना तो वह अपनी जगह से उठकर बैठ गई। बैठने के बाद उसने शख्स से कहा “यह तुम आधी रात को कैसी बहकी बहकी बातें करने लगे हो। तुम ठीक तो हो ना। आज शाम को भी तुमने एक ऐसा डिसीजन लिया था जिसे लेकर मैं पूरी तरह से हैरान हो गई थी, और अब यह। मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे तुम्हें कुछ हुआ है...।”
“नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं।” शख्स उठा और उठकर वही मानवी के पास बेड पर बैठ गया “तुम्हें पता है ना... मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी... मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि मैं किसी का अलग होना बर्दाश्त नहीं कर पाता। जब भी कोई अलग होता है तो मैं पूरी तरह से टूट जाता हूं। यह चीज... यह चीज मुझे पसंद नहीं।”
“ओफो...” मानवी ने अपने हाथ आगे बढ़ाएं और शख्स को हग कर लिया। “तुम पागल हो पूरे के पूरे। सनकी कहीं के।” अचानक शख्स की आंखें घुमी और वह मानवी की तरफ देखने लगा “नहीं जाने वाली मैं तुम्हें कभी भी छोड़ कर। हमारा रिश्ता जन्म जन्मांतर तक चलने वाला है। मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाली और तुम मुझे नहीं छोड़ने वाले।”
शख्स ने अपने मन में कहा “वैसे तो मुझे तुम्हारी आखिरी वाली लाइनों पर गौर करना चाहिए, मगर मैं उस पर गौर करने की बजाए तुम्हारी सनकी वाली लाइन पर गौर कर रहा हूं। अगर तुम्हारी जगह यह बात किसी और ने कई होती तो आज उसकी लाश यहां पड़ी होती। मगर तुम, तुम तो मेरा सब कुछ हो, तुम्हें मैं कुछ भी नहीं करूंगा, मेरी जिंदगी मेरा सब कुछ।”
शख्स ने गहरी सांस ली और उसे बाहर की तरफ छोड़ा। बाहर की तरफ छोड़ने के बाद वह कमरे में मौजूद खिड़की की तरफ देखने लगा जहां उसे खिड़की के बाहर आसमान के तारे दिखाई दे रही थी। “बस यही है मेरी जिंदगी। मेरी बढ़िया जिंदगी। अब आपको पसंद आए ना आए हैं... मुझे कोई अफसोस नहीं... मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं। मैं अपनी मानवी से खुश हूं। मैं अपनी इस बढ़िया जिंदगी से खुश हूं।”
तारों की तरफ देखते हुए आखिर में उसने अपने चेहरे पर एक मुस्कान दी। एक ऐसी मुस्कान जो उसे एक अलग ही तरह का इंसान दिखा रही थी। मानो वो ऐसा है ही नहीं जैसा वो दिखाई दे रहा है। मानो...मानो वो बुरा है ही नहीं।
Seema Priyadarshini sahay
05-Dec-2021 02:05 AM
बहुत अच्छी कहानी
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Sana Khan
03-Dec-2021 07:24 PM
Good
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Zaifi khan
30-Nov-2021 09:21 PM
Nice story
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